कतअ लिखने के मुख्य चरण

कतअ लिखना कला और कौशल का संगम है। यह ग़ज़ल की तरह तुकबंदी और लय का पालन करता है, लेकिन लंबाई में छोटा और प्रभाव में तेज़ होता है।
एक अच्छा कतअ कुछ ही पंक्तियों में गहरी बात कह देता है—चाहे वह हास्य हो, व्यंग्य, प्रेम, या कोई सामाजिक संदेश।
इसे लिखने के लिए शब्द चयन, भाव-संक्षेपण, और अंतिम पंक्ति में प्रभाव पैदा करना सबसे ज़रूरी है।


2. कतअ लिखने के मुख्य चरण – सूची

  1. विषय चुनना

  2. मुख्य संदेश तय करना

  3. रदीफ़ और क़ाफ़िया का निर्धारण

  4. छोटे और असरदार शेर गढ़ना

  5. अंतिम पंक्ति में प्रभाव डालना

  6. संक्षेप और सटीकता बनाए रखना

  7. पुनःसंपादन (Editing)


3. विस्तृत विवरण

1. विषय चुनना

कतअ किसी भी विषय पर लिखा जा सकता है—

  • हास्य और चुटकुले

  • सामाजिक या राजनीतिक व्यंग्य

  • प्रेम और बिछड़न

  • दार्शनिक या जीवन पर विचार

उदाहरण:
अगर राजनीति पर लिखना है तो भ्रष्टाचार, चुनावी वादे, नेता का व्यवहार आदि से शुरुआत कर सकते हैं।


2. मुख्य संदेश तय करना

कतअ की खासियत है कि वह बहुत छोटा होता है, इसलिए एक ही भाव या संदेश पर केंद्रित रहें।
अनेक भावों को एक साथ डालने से असर कम हो जाता है।


3. रदीफ़ और क़ाफ़िया का निर्धारण

  • रदीफ़ = हर शेर के अंत में आने वाला वही शब्द या वाक्यांश।

  • क़ाफ़िया = रदीफ़ से पहले आने वाली तुकांत ध्वनि।

उदाहरण:
रदीफ़ – "नहीं"
क़ाफ़िया – सही, कहीं, यहीं, वही आदि।


4. छोटे और असरदार शेर गढ़ना

कतअ आमतौर पर 2 से 4 शेर का होता है, इसलिए हर पंक्ति में दम होना चाहिए।
शब्द सीधे और स्पष्ट रखें।


5. अंतिम पंक्ति में प्रभाव डालना

अंतिम शेर वह होना चाहिए जो पढ़ते ही पाठक पर गहरा असर छोड़ दे—चाहे वह मुस्कान हो या सोचने पर मजबूर करने वाला ठहराव।


6. संक्षेप और सटीकता बनाए रखना

अनावश्यक विस्तार कतअ की धार को कम कर देता है। कम शब्दों में ज्यादा भाव भरना ही इसकी असली खूबी है।


7. पुनःसंपादन (Editing)

कतअ लिखने के बाद उसे ज़रूर पढ़ें और अनावश्यक शब्द हटाएँ।
तुकांत, लय और संदेश को परखें कि क्या वह असरदार है।


उदाहरण (प्रेम-विषयक कतअ)

वो पास आए तो नज़रें झुका ली हमने,
दिल की धड़कन ने फिर गुनगुना ली हमने,
क्या करें मोहब्बत का आलम ही ऐसा था,
उसकी खामोशी में भी दास्तां पढ़ ली हमने।

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