गीत – परिभाषा, विशेषताएँ और लेखन कला

गीत कविता की सबसे मधुर और लोकप्रिय विधाओं में से एक है। इसमें भावनाओं को संगीतात्मक ढंग से प्रस्तुत किया जाता है। गीत में लय, ताल और तुक का संतुलित मेल होता है, जिससे यह सुनने और गाने में आनंददायक बन जाता है। यह प्रेम, भक्ति, प्रकृति, देशभक्ति, विरह या उत्सव—हर तरह की भावनाओं का सुंदर अभिव्यक्ति माध्यम है।

गीत न केवल साहित्य में, बल्कि संगीत और जनजीवन में भी गहरी पैठ बनाए हुए है। हिंदी साहित्य में सूरदास, मीरा, तुलसीदास से लेकर आधुनिक कवियों तक, गीत का स्वरूप निरंतर विकसित हुआ है।


गीत की प्रमुख विशेषताएँ

  1. संगीतात्मकता – गीत में लय और ताल का होना अनिवार्य है।

  2. भाव प्रधानता – इसमें भावनाओं का गहरा असर होता है, चाहे वह प्रेम हो या भक्ति।

  3. तुकबंदी – पंक्तियों के अंत में तुक का सुंदर मेल गीत को और मधुर बनाता है।

  4. सरल और सहज भाषा – ताकि श्रोता तुरंत भाव समझ सके और उससे जुड़ सके।

  5. गानयोग्यता – गीत गाए जा सकते हैं, इसलिए इनमें उच्चारण और स्वर-सामंजस्य का ध्यान रखा जाता है।


गीत के प्रकार

  1. प्रेम गीत – प्रेम, सौंदर्य और मिलन-विरह की भावनाओं को व्यक्त करने वाले गीत।

  2. भक्ति गीत – ईश्वर, गुरु या किसी देवी-देवता के प्रति समर्पण भाव से लिखे गए गीत।

  3. देशभक्ति गीत – देश प्रेम, स्वतंत्रता और बलिदान के भाव जगाने वाले गीत।

  4. प्रकृति गीत – ऋतु, पर्वत, नदी, फूल-पत्तियों और प्राकृतिक सुंदरता पर आधारित गीत।

  5. लोकगीत – जनजीवन, परंपरा और संस्कृति से जुड़े गीत जो प्रायः मौखिक रूप में पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलते हैं।


गीत लेखन के लिए सुझाव

  1. विषय चुनें – पहले तय करें कि आपका गीत किस विषय पर होगा (प्रेम, भक्ति, देशभक्ति आदि)।

  2. लय और छंद – गीत में छंद और मात्रा का संतुलन बनाएँ, ताकि गाने में मिठास आए।

  3. सरल शब्द – कठिन शब्दों से बचें, ताकि गीत सभी के लिए सुलभ हो।

  4. तुकबंदी का ध्यान – पंक्तियों के अंत में तुक का सही चुनाव करें।

  5. भावनात्मक गहराई – गीत में भाव जितना सच्चा और गहरा होगा, उतना ही असरदार होगा।


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