लेखन एक विशाल सागर की तरह है, जिसमें कई धाराएँ बहती हैं। इन धाराओं में दो प्रमुख रूप हैं – लेखक और कवि।
दोनों ही शब्दों के जादूगर होते हैं, लेकिन उनके काम करने का तरीका, अभिव्यक्ति की शैली और लक्ष्य अलग-अलग होते हैं। आइए, इसे विस्तार से समझते हैं।
1. अभिव्यक्ति का तरीका
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लेखक
लेखक शब्दों के माध्यम से विचार, घटनाएँ और तर्क प्रस्तुत करता है। उसकी रचना में कहानी, निबंध, रिपोर्ट, संस्मरण, यात्रा-वृत्तांत जैसे कई रूप हो सकते हैं। लेखक अपने पाठक को सूचित करता है, मनोरंजन करता है या सोचने पर मजबूर करता है। -
कवि
कवि भावनाओं, कल्पनाओं और संवेदनाओं को कविता के रूप में पिरोता है। कवि का लक्ष्य सीधे दिल को छूना और भावनाओं की गहराई में उतरना होता है। वह शब्दों में लय, तुक और चित्रात्मकता लाकर पाठक को संवेदनात्मक अनुभव कराता है।
2. भाषा का स्वरूप
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लेखक की भाषा स्पष्ट, तर्कपूर्ण और जानकारीपूर्ण होती है। वह घटनाओं और विचारों को विस्तार से समझाता है।
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कवि की भाषा संक्षिप्त लेकिन गहन होती है। वह कम शब्दों में अधिक भाव व्यक्त करने में माहिर होता है।
3. विषय का चुनाव
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लेखक का विषय जीवन का कोई भी पहलू हो सकता है – राजनीति, समाज, विज्ञान, संस्कृति, व्यक्तिगत अनुभव आदि।
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कवि का विषय अक्सर भावनाओं, प्रकृति, प्रेम, विडंबना, व्यंग्य या दर्शन से जुड़ा होता है, हालांकि वह भी सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को छू सकता है।
4. उद्देश्य
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लेखक का उद्देश्य: जानकारी देना, विचार व्यक्त करना, तर्क प्रस्तुत करना, कहानी कहना।
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कवि का उद्देश्य: भावना जगाना, प्रेरित करना, सौंदर्य का अनुभव कराना।
5. संरचना
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लेखक की रचना में परिचय, मुख्य भाग और निष्कर्ष स्पष्ट होते हैं।
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कवि की रचना में लय, तुकांत, छंद या मुक्त छंद का प्रयोग होता है।
6. पाठक पर प्रभाव
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लेखक का प्रभाव दिमाग पर अधिक पड़ता है।
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कवि का प्रभाव दिल पर अधिक पड़ता है।
7. उदाहरण
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लेखक – प्रेमचंद (कहानी), महादेवी वर्मा (निबंध), रामचंद्र गुहा (इतिहास)
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कवि – निराला, दिनकर, सूरदास, माखनलाल चतुर्वेदी
निष्कर्ष
लेखक और कवि दोनों ही समाज के आईने होते हैं। लेखक उस आईने में समाज का चेहरा दिखाता है, जबकि कवि उस चेहरे के पीछे छुपी भावनाएँ उजागर करता है।
यदि लेखक को विचारों का इंजीनियर कहा जाए तो कवि भावनाओं का कलाकार है।
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