रुबाई उर्दू, फ़ारसी और हिंदी साहित्य की एक महत्वपूर्ण काव्य-विधा है, जिसमें चार पंक्तियों (चौपाई) के माध्यम से गहन विचार, दर्शन, प्रेम, विरह या जीवन का सार व्यक्त किया जाता है।
रुबाई का उद्गम फ़ारसी साहित्य से हुआ और इसे ओमर ख़य्याम जैसे कवियों ने लोकप्रिय बनाया।
इसकी ख़ासियत है कि यह छोटी होते हुए भी बेहद असरदार होती है — जैसे शब्दों में मोती पिरोना।
2. संरचना (फ़ॉर्मेट)
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कुल 4 पंक्तियाँ होती हैं।
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तुकांत का क्रम सामान्यतः AABA रहता है (पहली, दूसरी और चौथी पंक्ति में तुकांत समान, तीसरी अलग)।
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प्रत्येक पंक्ति में वज़्न (छंद) का संतुलन होता है।
3. विषय-वस्तु
रुबाई में अक्सर ये विषय होते हैं:
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दर्शन (जीवन, मृत्यु, समय, सत्य)
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प्रेम (मिलन, विरह, सौंदर्य)
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प्रेरणा (साहस, संघर्ष, उम्मीद)
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व्यंग्य/हास्य
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आध्यात्मिकता
4. विशेषताएँ
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संक्षिप्त लेकिन सारगर्भित भाव।
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पढ़ते ही दिल या दिमाग़ में असर छोड़ना।
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भाषा सरल लेकिन गहरी।
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एक ही दृश्य या विचार पर केंद्रित रहना।
5. उदाहरण (प्रेरणा विषय)
अंधेरों में भी रौशनी ढूँढ ले तू,
मुसीबत में भी ख़ुशी ढूँढ ले तू,
हौसला रख, तूफ़ानों से डरना कैसा,
हर मुश्किल में भी नयी ज़िंदगी ढूँढ ले तू।
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