"बहर" का मतलब है — कविता या ग़ज़ल में पंक्तियों की लंबाई और लय को तय करने वाला छंद-विधान।
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ग़ज़ल में हर शेर के दोनों मिसरे (पंक्तियाँ) एक ही बहर में होने चाहिए।
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बहर का पालन करने से ग़ज़ल में संगीतात्मकता और तालमेल आता है।
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बहर अरूज़ के नियमों से तय होती है, जिसमें लंबी और छोटी मात्राओं (लगु-गुरु) का एक पैटर्न होता है।
बहर को मात्रा और वज़्न के आधार पर तीन मुख्य वर्गों में बांटा जाता है:
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बहर-ए-तवील – लंबी बहर (अधिक मात्राएँ, विस्तार के लिए)
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बहर-ए-वसत – मध्यम बहर (संतुलित)
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बहर-ए-ख़फ़ीफ़ – छोटी बहर (कम शब्दों में असर)
ग़ज़ल की प्रमुख बहरों की सूची
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बहर-ए-तवील
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बहर-ए-क़सीद
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बहर-ए-कामिल
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बहर-ए-रमल
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बहर-ए-हज़ज
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बहर-ए-राज़िह
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बहर-ए-मुतक़ारिब
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बहर-ए-मुज़ारे
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बहर-ए-मुनसरेह
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बहर-ए-मुक्तज़ब
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बहर-ए-मुख़फ़्फ़फ़
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बहर-ए-मुक्त़सिर
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बहर-ए-मजत्स
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बहर-ए-सरिअ
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बहर-ए-ख़फ़ीफ़
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बहर-ए-मदीद
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बहर-ए-मंसूह
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बहर-ए-मजदूर
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बहर-ए-मुज्तस
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बहर-ए-मुनसरह-कबीर
प्रत्येक बहर का विस्तृत वर्णन
1. बहर-ए-तवील
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विशेषता: सबसे लंबी बहर। एक मिसरे में 24–26 मात्राएँ तक हो सकती हैं।
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अरूज़ पैटर्न: फ़ाइलातुन मफ़ाईलुन फ़ाइलातुन मफ़ाईलुन
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उपयोग: विस्तृत वर्णन, कहानीनुमा ग़ज़लें, महाकाव्यात्मक भाव।
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उदाहरण:
"मुस्कुराते हुए चेहरों में जो ग़म छुपा होता है"
2. बहर-ए-क़सीद
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विशेषता: लंबी और संतुलित, 20–22 मात्राएँ।
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पैटर्न: मफ़ाईलुन फ़ाइलातुन मफ़ाईलुन फ़ाइलातुन
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उपयोग: औपचारिक, दरबारी या वर्णनात्मक ग़ज़लें।
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उदाहरण:
"तेरे बिना ये दिल भी अब लगता नहीं कहीं पर"
3. बहर-ए-कामिल
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विशेषता: मध्यम लंबाई, बहुत लोकप्रिय।
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पैटर्न: फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
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उपयोग: प्रेम, दर्शन, समाजिक विषय।
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उदाहरण:
"तेरे ख़याल से महका है दिल का हर कोना"
4. बहर-ए-रमल
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विशेषता: कोमल, मधुर लय।
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पैटर्न: फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन
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उपयोग: प्रेम, आध्यात्मिक भाव, सूफ़ी ग़ज़लें।
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उदाहरण:
"तेरी आँखों में जो देखा वो सफ़र लगता है"
5. बहर-ए-हज़ज
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विशेषता: तेज़ और गेय लय।
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पैटर्न: मफ़ाइलुन मफ़ाइलुन मफ़ाइलुन मफ़ाइलुन
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उपयोग: रोमैंटिक और गीतात्मक ग़ज़लें।
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उदाहरण:
"तेरी यादों का मौसम फिर से आने वाला है"
6. बहर-ए-राज़िह
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विशेषता: गंभीर और दार्शनिक लय।
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पैटर्न: मफ़ाईलुन फ़ाइलुन मफ़ाईलुन फ़ाइलुन
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उपयोग: जीवन दर्शन, समाजिक आलोचना।
7. बहर-ए-मुतक़ारिब
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विशेषता: वीरता और महाकाव्यात्मक भाव।
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पैटर्न: फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊल
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उदाहरण:
"लड़ा मैं अंधेरों से लेके उजालों की चाह"
8. बहर-ए-मुज़ारे
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विशेषता: सरल और छोटे प्रवाह वाली बहर।
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पैटर्न: मफ़ाइलुन फ़ाइलातुन मफ़ाइलुन फ़ाइलुन
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उपयोग: हल्के-फुल्के भाव, हास्य ग़ज़लें।
9. बहर-ए-मुनसरेह
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विशेषता: जोशीली, क्रांतिकारी लय।
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उपयोग: विरोध, आंदोलन, क्रांति की ग़ज़लें।
10. बहर-ए-मुक्तज़ब
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विशेषता: कम मात्राओं में गहरे भाव व्यक्त करना।
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उपयोग: लघु ग़ज़लें, न्यूनतम शब्दों में असर।
11. बहर-ए-मुख़फ़्फ़फ़
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विशेषता: हल्की और मनोरंजक लय।
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उपयोग: हास्य, व्यंग्यात्मक ग़ज़लें।
12. बहर-ए-मुक्त़सिर
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विशेषता: सबसे छोटी बहर, कम शब्दों में भाव।
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उपयोग: मिनी-ग़ज़लें, इंस्टेंट प्रभाव वाली रचनाएँ।
13. बहर-ए-मजत्स
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विशेषता: मिश्रित लय, जिसमें पैटर्न बदलता है।
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उपयोग: जटिल भाव, बहुस्तरीय ग़ज़लें।
14. बहर-ए-सरिअ
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विशेषता: तेज़ और चुस्त लय।
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उपयोग: हंसी-मज़ाक, हल्का व्यंग्य।
15. बहर-ए-ख़फ़ीफ़
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विशेषता: सरल और हल्का प्रवाह।
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उपयोग: प्रेम और भावुक ग़ज़लें।
16. बहर-ए-मदीद
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विशेषता: लंबी और विस्तृत लय।
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उपयोग: इतिहास और स्मरण आधारित ग़ज़लें।
17. बहर-ए-मंसूह
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विशेषता: कठिन पैटर्न, कम प्रयोग।
18. बहर-ए-मजदूर
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विशेषता: पारंपरिक और शास्त्रीय लय।
19. बहर-ए-मुज्तस
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विशेषता: मिश्रित लंबाई।
20. बहर-ए-मुनसरह-कबीर
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विशेषता: लंबी, जटिल लय, उस्ताद शायरों की पसंद।
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