तुकांत एवं छंद (Rhyming & Meters)

कविता केवल शब्दों का मेल नहीं, बल्कि लय, संगीत और भावनाओं की एक सुंदर यात्रा है।
इस यात्रा की धड़कन हैं तुकांत (Rhyming) और छंद (Meters)
तुकांत शब्द कविता में मधुरता और प्रवाह लाते हैं, जबकि छंद उसकी लय और संरचना तय करता है।
जब कोई कवि सही तुकांत चुनता है और उसे उपयुक्त छंद में पिरोता है, तो कविता न केवल सुनने में मधुर लगती है बल्कि पाठक के मन में गहरी छाप छोड़ देती है।
तुकांत और छंद का सही ज्ञान हर कवि के लिए उतना ही जरूरी है, जितना संगीतकार के लिए सुर और ताल का।


  1. तुकांत शब्दों का ज्ञान

  2. मुक्त छंद व बद्ध छंद

  3. मात्रिक और वर्णिक छंद

  4. अलंकारों का प्रयोग

  5. लय, गति और भावाभिव्यक्ति




तुकांत और छंद में महारत हासिल करना किसी भी कवि की रचनात्मक यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
ये केवल तकनीकी नियम नहीं, बल्कि कविता की आत्मा को आकार देने वाले आधार हैं।
एक कवि जितना अधिक तुकांत के सौंदर्य और छंद की लय को समझता है, उसकी रचना उतनी ही प्रभावशाली और कालजयी बनती है।
इसलिए, अगर आप कविता में अमरता पाना चाहते हैं, तो तुकांत और छंद का अभ्यास अपने लेखन का अनिवार्य हिस्सा बनाएं।

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